Sunday 18 April 2010

जीवन संघर्ष और जिजीविषा की बेहतरीन कहानियां

समीक्षा
-कमलेश पाण्डेय
कविता के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले महानगर के रचनाकार डॉ. अभिज्ञात का पहला कहानी संग्रह 'तीसरी बीवी' का सद्य: प्रकाशन शिल्पायन ने किया है। डॉ. अभिज्ञात के इस पहले कथा संग्रह में हंस, वसुधा, वर्तमान साहित्य, कादंबिनी, नया ज्ञानोदय जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में छपी उनकी कई कहानियों के साथ कई अप्रकाशित कहानियां संकलित हैं। देश के विभिन्न समाचारपत्रों में कार्यानुभव रखने वाले डॉ.अभिज्ञात की विशेषता है कि वे अपनी कहानियों में जीवन संघर्ष तथा पात्रों की जिजीविषा को कई बार सीधे-सीधे तो कई बार व्यंजना की शैली में प्रस्तुत करते हैं। उनकी कहानी 'कॉमरेड और चूहे' ऐसी ही एक कहानी है, जिसमें लोगों के हित का अंतिम क्षण तक स्वप्न देखने वाले एक कम्युनिस्ट का शव अपनी तमाम उदात्त भावना के बावजूद आखिरकार व्यवस्था का शिकार हो जाता है। उसके शव को समाज रूपी चूहा कुतर जाता है। ऐसा नहीं कि डॉ.अभिज्ञात की कहानियों में नैराश्य की ही प्रधानता है अथवा वे अपनी कहानियों के माध्यम से कोई प्रेरणा देते नहीं दिखते। इनकी कहानियों के पात्र अपनी स्थितियों में बदलाव लाने को प्रस्तुत हैं। 'एक हिट भोजपुरी फिल्म की स्टोरी' के पात्र विरासत में मिली अपनी परंपरा को जिलाये रखने की भावना के साथ-साथ आधुनिकता को भी अपनाने की पूरी जद्दोजहद में जुटे हैं तथा आखिरकार उन्हें अपने मकसद में कामयाबी हासिल होती है। एक ओर जहां डॉ.अभिज्ञात समाज की विभिन्न परिस्थितियों के कलात्मक विश्लेषण में जुटे हैं, वहीं पात्र दर पात्र वे मानव मन का विश्लेषण भी करते हैं। समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े इनके पात्र अपने चरित्रों के अनुसार परिस्थितियों के अनुरूप आचरण करते हैं।
यह डॉ.अभिज्ञात की खासियत है कि वे पाठकों को विशेष तौर पर चौंकाते नहीं हैं बल्कि इनकी कहानियों में कथानक धीरे-धीरे स्वत: आगे बढ़ता है। हालांकि 'क्रेजी फैंटेसी की दुनिया' में डॉ.अभिज्ञात पाठकों के सामने एक ऐसा रचना संसार प्रस्तुत करते हैं, जिसमें प्रकृति के सानिध्य से रक्षा, विनाश की परिकल्पना के साथ-साथ मानवीय मूल्यों के क्षरण का लेखा-जोखा सा पाठकों के सामने मानो उपस्थित हो जाता है। इसी प्रकार इनकी 'तीसरी बीवी' शीर्षक कहानी भी व्यवस्था के कू्रर पंजे में जकड़े लोगों के मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती है। डॉ.अभिज्ञात की कहानियां विशेष तौर पर व्यवस्था में जकड़े समाज के दबे कुचले लोगों के पक्ष में उनके जीवन संघर्ष की दास्तान हैं।

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